एक दिया हूँ मैं/रघुवीर पटेल

नहीं है कुछ अभिमान मुझे
नहीं है खुद का भान मुझे
खुद में जल कर विलुप्त हो जाता हूं मै
ईंधन ख़तम हुआ कि लुप्त हो जाता हूं मै
हा एक दिया हूं मैं
जग को रोशन करता हूं मैं

लोगो की क्या बात करू
ऊंचे कद से जलते है ये
कोई तरक्की पा जाए तो
मक्खी मुंह पर मलते है ये
अरे जलना कोई मुझसे सीखे
ढलना कोई मुझसे सीखे
अन्धकार को हरता हूं मै
नित उजाला करता हूं मै
हा एक दिया हूं मै
जग को रोशन करता हूं मैं

मुझको कोई लोभ नहीं
नित जलता हूं पर क्षोभ नहीं
जब तम धीरे धीरे बड़े
लोग मुझे ही याद करे
मै सबको उजाला देता हूं
पर खुद अंधकार में रहता हूं
हा एक दिया हूं मै
जग को रोशन करता हूं मैं

घोर उदासी छाती है जब
और उदासी छाती है तब
उपर वाले से फरियाद करे जब
लोग मुझे ही याद करे तब
सबको खुशियां देता हूं मै
खुद कितना कष्ट सहता हूं मै
हा एक दिया हूं मै
जग को रोशन करता हूं मैं!!

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