हंसी के ग्रह पर / जेआर'बिश्नोई'

यह उपन्यास भविष्य की 500 साल बाद दुनिया में होने वाली मजेदार और चुटकुलों से भरी घटनाओं पर आधारित है। जब एलियन्स और रोबोट्स पृथ्वी पर आते हैं, तो वे सिर्फ नए तकनीकी सवाल नहीं पूछते, बल्कि पिज्जा के गिरने और हंसी के खास तरीके पर भी चर्चा करते हैं! मंगल पर टूर के दौरान लोग ट्रैफिक की चिंता करते हैं, जबकि सूरज भी वहां चुटकुले सुनाता है। इस उपन्यास में हंसी से लदे संवाद, मजेदार घटनाएं और भविष्य की विचित्रताएं हैं, जो न केवल आपको हंसी में डूबो देंगी, बल्कि 500 साल बाद की दुनिया के बारे में सोचने पर मजबूर भी करेंगी।

यहां हर पन्ने पर हंसी की एक नई दुनिया मिलेगी, जहां संघर्ष नहीं, बल्कि हर मुश्किल का हल चुटकुले और हंसी में है!

अनुक्रमणिका


यह उपन्यास लेखक जेआर'बिश्नोई' द्वारा लिखा गया है, जो राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले हैं। बिश्नोई जी की सोच हमेशा अलग और जरा हटकर होती है। वे न केवल चीजों को गहरे से सोचते हैं, बल्कि हर पहलू को एक अलग दृष्टिकोण से देखने की कोशिश करते हैं, जिससे उनकी लेखनी में हर बार कुछ नया और मजेदार निकलकर सामने आता है। उनका यह अनोखा तरीका उन्हें न केवल एक सृजनात्मक लेखक बनाता है, बल्कि पाठकों को 500 साल बाद की दुनिया की एक रोचक और हास्यपूर्ण झलक भी देता है। उनका उपन्यास "500 साल बाद: हंसी के ग्रह पर" इस अलग सोच का परिणाम है, जिसमें भविष्य, एलियन्स और हंसी के बीच की मजेदार घटनाओं को एक नए और अनूठे अंदाज में प्रस्तुत किया गया है।

कभी-कभी सोचता हूं मैं, कुछ अलग ही करूं,फिर हंसी आई और बोला –"बस तू यही कर,जो तू कर रहा है!" -जेआर'बिश्नोई'

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