हिंदी व्याकरण की नींव – वर्णमाला और उच्चारण

किसी भी भाषा में लेखन की शुरुआत उसकी मूल ध्वनियों और अक्षरों से होती है। जिस प्रकार इमारत बनाने से पहले मजबूत नींव की जरूरत होती है, उसी प्रकार लेखन की दुनिया में कदम रखने से पहले भाषा की नींव यानी वर्णमाला और उच्चारण का ज्ञान जरूरी है।

यदि आप कवि हैं, तो उच्चारण का सीधा असर आपकी कविता के लय, छंद और तुकांत पर पड़ता है। और यदि आप लेखक हैं, तो शुद्ध उच्चारण और सही वर्तनी आपकी रचना की विश्वसनीयता और सौंदर्य बढ़ाते हैं।


1.⁠ ⁠हिंदी वर्णमाला (Alphabet)


हिंदी वर्णमाला में कुल 52 अक्षर माने जाते हैं (कुछ मतभेद के साथ 50 भी कहा जाता है)।

वर्णमाला दो भागों में विभाजित है:

1.⁠ ⁠स्वर (Vowels) – 13

2.⁠ ⁠व्यंजन (Consonants) – 33

अयोग्य वर्ण (संयुक्ताक्षर व विशेष चिह्न) – 4-6



(A) स्वर – 13 अक्षर


स्वर वे ध्वनियाँ हैं जिनके उच्चारण में हवा का प्रवाह मुख में बिना रुकावट के निकलता है।

क्रम स्वर उच्चारण का संकेत उदाहरण शब्द


1 a अनार, अग्नि

2 ā आम, आग

3 i इमली, इत्र

4 ī ईख, ईश्वर

5 u उल्लू, उद्यान

6 ū ऊन, ऊँचा

7 ṛi ऋषि, ऋतु

8 e एक, एकता

9 ai ऐनक, ऐश्वर्य

10 o ओस, ओखली

11 au औरत, औजार

12 अं an (अनुस्वार) अंगूर, अंश

13 अः ah (विसर्ग) दुःख, दःख



(B) व्यंजन – 33 अक्षर


व्यंजन वे ध्वनियाँ हैं जिनके उच्चारण में हवा का प्रवाह किसी स्थान पर रुककर फिर बाहर निकलता है।

व्यंजन वर्ग –


1.⁠ ⁠क-वर्ग – क, ख, ग, घ, ङ

2.⁠ ⁠च-वर्ग – च, छ, ज, झ, ञ

3.⁠ ⁠ट-वर्ग – ट, ठ, ड, ढ, ण

4.⁠ ⁠त-वर्ग – त, थ, द, ध, न

5.⁠ ⁠प-वर्ग – प, फ, ब, भ, म

6.⁠ ⁠अंतःस्थ – य, र, ल, व

7.⁠ ⁠ऊष्म – श, ष, स, ह



2.⁠ ⁠उच्चारण (Pronunciation)


उच्चारण का मतलब है — शब्द को सही ध्वनि और लय के साथ बोलना।

गलत उच्चारण कविता की लय बिगाड़ सकता है और गद्य की समझ पर असर डाल सकता है।


उच्चारण दोष और सुधार

दोष उदाहरण सुधार

स्वर परिवर्तन 'इश्क' को 'ईश्क' बोलना 'इश्क' सही

व्यंजन परिवर्तन 'कलम' को 'कलाम' बोलना 'कलम' सही

मात्रा दोष 'किताब' को 'कताब' बोलना 'किताब' सही



3.⁠ ⁠कवि व लेखक के लिए उच्चारण का महत्व


1.⁠ ⁠कविता में लय और छंद का संतुलन – अगर 'लगी' शब्द को 'लगि' बोलेंगे, तो मात्राएँ बदल जाएँगी और छंद बिगड़ जाएगा।

2.⁠ ⁠तुकांत शब्दों की शुद्धता – "सपना" और "अपना" में केवल एक अक्षर का फर्क है, लेकिन उच्चारण और तुक पर असर पड़ेगा।

3.⁠ ⁠भाव अभिव्यक्ति की ताकत – सही उच्चारण पाठक/श्रोता के मन में स्पष्ट चित्र बनाता है।




4.⁠ ⁠निष्कर्ष


हिंदी लेखन की पहली सीढ़ी वर्णमाला और उच्चारण है।

अगर यह नींव मजबूत है, तो आप आगे छंद, तुकांत, अलंकार और रचनात्मक लेखन में आसानी से आगे बढ़ सकते हैं।

कवि के लिए यह स्वर-व्यंजन की संगति है और लेखक के लिए यह शब्दों की शुद्धता।


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