अस्तित्व/दिपा वानखेडे

हाँ मै फिर एक बार जीना चाहती हूँ 
अपने अस्तित्व के साथ जीना चाहती हूँ

मै जमिं से आसमाँ होना चाहती  हूँ
चाँद तारों के बीच रहना चाहती हूँ

ख्वाहिशो को जादूई रंग देना चाहती हूँ
संगेमरमर सी तराशती मिनार  चाहती हूँ

हार ,जीत , तड़प  इन से लडना चाहती हूँ
मै जिने की ईक मिसाल दोहराना चाहती हूँ

खुशी ,आँसु , गम सब संभालना चाहती हूँ
मगर मै परवाहगीर की ईक नज़र चाहती हूँ

मै खुद को बेहद प्यार करना चाहती हूँ
जैसे जिने के लिए साँसे मागना चाहती हूँ

बेडियाँ ,हतकडीयाँ सब तोड़ना चाहती हूँ
ईक नये समय की सोच बनना चाहती हूँ

किसी के साथ नही अपनापन चाहती हूँ
उम्मींद नही खुद राह बनना चाहती हूँ

हाँ मै फिर एक बार जीना चाहती हूँ 
 अपने अस्तित्व के साथ जीना चाहती हूँ 

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