एक मंज़िल के हित में कुर्बानी कितनी देनी पड़ती है,
सपनों की उड़ान यूँ तो जज्बों से होती है,
पर उसको पाने हेतु आँखे जाने कितनी रातें लड़ती हैं।
आजादी का एक सपना वीरों ने मिलकर देखा था,
उसके पीछे दर्द ना जाने कितना उन्होंने झेला था,
आजाद, भगत ने स्वराज के ख़ातिर अपने खून से खेला था,
बापू ने आँखों में आँखें डालकर अंग्रेजों को समुंदर पार खदेड़ा था,
मुश्किल नहीं है कुछ भी जीत का सपना देखो सब ,
आजादी के बाद वीरों ने देशवासियों के लिए यही संदेश छोड़ा था।
बने राष्ट्रपति कलाम सपनों ने ही मिसाइल-मैन नाम दिया,
इसरो ने रॉकेट चाँद पर भेजा दुनिया में सम्मान मिला,
नेहरू के सपनों ने नए भारत की नींव रखी,
जिस पर चलकर भारत को विश्वगुरु का स्थान मिला।
सपना कितना है जरूरी यह पीढ़ियाँ सिखा गईं,
संघर्ष पथ पर चलना है जरुरी हमको भी समझा गई।
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