सपनों की उड़ान /काजल शर्मा

मन में बसा एक छोटा सपना,
हौसले से बढ़ा बन जाता अपना।
धरती से उठ, गगन को देखो,
हर सितारे में अपना अक्स देखो।

राह में कांटे हों, पत्थर भी आएं,
इन्हें पार कर, आगे कदम बढ़ाएं।
जीवन की धारा में बहते हुए,
सपनों के पुल को बुनते हुए।

न रुकें, न झुकें, न थकें कभी,
हर पल खुद से कहें यही।
सपनों की शक्ति, हृदय का प्रकाश,
यही तो बनता है जीवन का विकास।

हर सुबह नई रोशनी लाए,
हर रात उम्मीदों को बढ़ाए।
सपनों को उड़ने दो बिना डर के,
हर बाधा को हटाओ अपने सफर से।

आकाश सीमित नहीं, यह अनंत है,
सपनों का संसार भी अद्वितीय है।
तो क्यों ना आज उड़ान भरें,
अपने सपनों को साकार करें।

हर पतंग की एक डोर होती है,
जो उसे उड़ान की ओर ले जाती है।
उसी तरह हमारे सपने भी,
हौसले से ऊंचाई छूते हैं।

तो उठो, जागो और बढ़ो आगे,
हर बाधा को अपने साहस से साधे।
सपनों की उड़ान भरो इस धरा पर,
और नाम रोशन करो अपने गगन पर।

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