निर्माण/आंचल गुप्ता

पथ से भटका राही बन गया , 
गंगन ना चूम पाया तो निराशावादी बन गया , 
मैं उलझा रहा जिंदगी के खराबे में इतना , 
मेरा किया जिसने निर्माण , वो मेरा 
इंतजार करते करते थक गया।। 

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