पैरों के निशान बनाकर चल ।
तुझे रोकने सब आएंगे ,
अपनी पहचान बनाकर चल।
कैदी मन को आजादी देकर ,
सर अपना उठाकर चल ।
एक सपना एक जीवन जैसा ,
सपने को जान बनाकर चल ।
चार लोग दस बात कहेंगे ,
तू थोड़ा इतराकर चल ।
आँख के अश्रु अमृत जैसे ,
उनको तू लक्ष्य बनाकर चल ।
महंगा पड़ेगा वो सपना तुझको ,
तू हर कीमत चुकाकर चल ।
प्रगति की डोर है तेरे हाथ में ,
सपनों की उड़ान बढाकर चल।
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