सपनों की उड़ान /पूजा शर्मा

कठिन डगर के मुश्किल सफ़र में ,
पैरों के निशान बनाकर चल ।

तुझे रोकने सब आएंगे ,
अपनी पहचान बनाकर चल।

कैदी मन को आजादी देकर ,
सर अपना उठाकर चल ।

एक सपना एक जीवन जैसा ,
सपने को जान बनाकर चल ।

चार लोग दस बात कहेंगे ,
तू थोड़ा इतराकर चल ।

आँख के अश्रु अमृत जैसे ,
उनको तू लक्ष्य बनाकर चल ।

महंगा पड़ेगा वो सपना तुझको ,
तू हर कीमत चुकाकर चल ।

प्रगति की डोर है तेरे हाथ में ,
सपनों की उड़ान बढाकर चल।

Post a Comment

0 Comments