चाहे जीवन पूरा हो चुनौती भरा
टूटना नहीं, छूटना तुम नहीं
हारा जीवन को जीता है जिसने यहां
वो ही सिकंदर, वही गिरधर
ज़िंदगी में हों चाहे कितनी ही साजिशें
चाहे चारों तरफ हो खालिस दुश्मनी
प्यार की पतवार तुम चलाते रहो
कड़वाहट, कठिनाई कितनी भले हो
नरमी और गरमाहट का ही हो सृजन
कोशिशों से हर गांठ का समाधान हो
गिर गिर कर उठते उठाते चलो
ये जन को मिला है आशीर्वाद जो सृजन
तो टूटे पर निर्माण, और हो पूजन
क्या फर्क गिलहरी का छोटा सा हो योजन
या कितना बड़ा योगदान
होता धन्य जीवन, जब हो निर्माण
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