मूल तत्व वायु, अग्नि, नभ, मिट्टी और पानी है,
पंचतत्वों के मेल से इस धरा का निर्माण हुआ,
विभिन्न जीव-जंतुओं से प्रकृति का संचार हुआ।
मानव ने प्रकृति को पूजा, आस्था का विकास हुआ,
जलाशयों के महत्व को समझा, खेती का शुरुआत हुआ ,
तिनका-तिनका जोड़कर मानव ने घर की नींव रखी,
तब जाकर इस धरती पर सुदृढ समाज का निर्माण हुआ।
कितनी उम्मीदों को जोड़कर एक हौसला बनता है,
बड़े परिश्रम के बाद एक बीज़ पनपता है,
कठिन डगर पर चलते-चलते आखिरकार राही को,
उद्देश्य निर्माण का मिलता है।
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