मस्त मगन,
पंख पसारे
एक पंछी उड़ चला।
न कोई भय,
न कोई बंधन,
सपनों के संग,
सीमा पार चला।
एक उड़ान भरकर
हर सीमा को
कर दिया पार
सहारा
हौसले का बना।
वो पंछी
न केवल उड़ा
साथ हमें भी दिखा गया-
सपनों को सजाना,
हौसले से निभाना,
हर बाधा के पार,
मंजिल तक जाना।
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