तुम अपना महल बनाओ..
श्रद्धा सुमन के फूल खिले जहाँ
ऐसा तुम बाग लगाओ..
पर सहज नहीं खुद ही गढ़ जाना,
तुम भी तो हाथ लगा ओ..
मुझको स्विकार है बलिदान खुद का, तुम महल में राम बसाओ..
द्वेष भेद रहित हो देश मेरा,
ऐसा राम राज्य लाओं.
ॠषियो की ये भारत भूमि,
वसुधैव कुटुंबकम् का अलख जगाओ..
एक नव भारत की आस में वीरों ने कई बलिदान दिए,,
स्वतंत्र तिरंगा लहराने को लाखो लोगो ने प्राण त्याग दिए..
उनके बलिदान करने सार्थक नव निर्माण की निवं लगाए..
शौर्य शान्ति हरियाली का ये देश
आऔ हम इसका मान बढ़ाए
अपने भारत को विश्व विजयी बनायें..
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