परिवार/अभिलाषा स्नेह

परिवार!
एक ऐसा शब्द
जिसके वर्ण - वर्ण में 
घुले हुए हैं असंख्य भाव! 
उन असंख्य भावों में
का रंग,कहीं चटक, 
कहीं बहुत सादा
मुझे याद आता है, 
परिवार का अर्थ! 
जहाँ बहुत कुछ है 
जो छूट जाता है 
बहुत कुछ है जो छोड़ना होता है
परिवार को परिवार रखने के लिए
कई बार अपना भी हृदय 
तोड़ना पड़ता है
समझौता करना होता है 
सपनों से,
और कहना पड़ता है 
न ठीक होते भी 
सब ठीक है अपने जैसे अपनों से
बहुत सारे उतार चढ़ाव में
रखा जाता है
धैर्य सा
सबकुछ घूमता है
चलता है चक्र की तरहा
फिर भी रहता है 
एक अनकहा सहारा सबके मध्य
मैनें अवलोकित किया है
और पाया है
घुला मिला है
हर तरफ 
एक स्नेह का रंग, 
एक प्रीत की छांव
एक थोड़ी सी डांट
एक प्यारा सा माख
उसमें पाया है मैंने 
कभी कभी आंसू भी
कभी कभी बेबसी भी
और वहीं कहीं देखा है
कुछ बिना किसी शिकायत के
पूरी करते हैंअपनी तरफ से
 हर एक कमी भी
हालांकि , 
उनके अपने पास कुछ नहीं
और हमारे पास भी
फिर भी जो हमें मिला 
वह अनमोल है 
जहाँ एक स्वतंत्रता है
जो सबको नहीं मिलती
एक विश्वास है 
जो सबको नहीं होता है
एक आश्वासन है
जो सबके हिस्से नहीं आता है
इसलिए कहूँ न कहूँ
मुझे मेरा परिवार बहुत भाता है,,, 

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