प्रेम/दिव्या दीक्षित

देखना कहीं भीग ना जाये तेरी पलकें, 
तेरी पलकों में सजता हुआ ख़्वाब हूँ मैं, 
महका दे तुझे जिसका ख्याल, 
तेरी पसंद का वो गुलाब हूँ मैं.... 

उलझन में डाल देते हैं तुझे जो प्रश्न, 
उन सभी प्रश्नों का जवाब हूँ मैं, 
देखे जो आँखों में मेरी तू, 
हो जाये तुझे नशा वो शराब हूँ मैं..... 

होठों पर बिखरती जो हँसी है, 
उस हँसी का राज़ हूँ मैं, 
तुझे पसंद आ जाये, 
वो अंदाज़ हूँ मैं..... 

अक्स पर ठहरती जो नमी है, 
उस नमी का शबाब हूँ मैं, 
और देख तुझे हो जाये हर कोई फ़िदा, 
वो रुआब हूँ मैं....... 

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