विवाह: एक भावनात्मक सफर/नीरज

घूंघट के पीछे छिपी, नज़रों की झिझक,
मुस्कान में लिपटा है सपनों का शक।
पिता के आँगन से दूर जा रही,
एक बेटी है, जो नई दुनिया बसा रही।

माँ के हाथों का स्पर्श, उसकी विदाई का सहारा,
भाई की आंखों में छिपा, प्यार और इशारा।
हर कदम में सजी है यादों की डोरी,
विवाह के इस बंधन ने दिल की धड़कनें जोड़ी।

सात फेरों की अग्नि में वचन दिए,
हर मुश्किल में साथ रहेंगे, ऐसे रिश्ते लिए।
वक्त बदलने को है मंगलसूत्र डलने को है
दुल्हन की होठों पर चूप्पी है,बस सिंदूर लगने को है

दूल्हे की आंखों में सपनों का संसार,
दुल्हन की चुप्पी में छिपा है प्यार।
दुल्हन की ये चुप्पी जाने वाली है 
आख़िरकार विदाई की घड़ी आने वाली है

विदाई का पल, सबकी आँखों को नम करता
माँ के आंसू, पिता का मौन कुछ कहता।
घर की खुशबू, आंगन की धड़कन,
सब पीछे छूटे, नये रिश्ते तो मिले लेकिन पुराने छूटे

यह सिर्फ विवाह नहीं, जीवन का अनमोल तोहफा,
एक नए सफर का प्रारंभ, जिसमें है भरोसा।
दिल में भावनाओं का ये जो झरना बहा,
विवाह ने हर रिश्ते को और भी सुंदर गढ़ा।

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