सपनों की उड़ान/पिंकी देवांगन

राहों में मिले भले हजार ठोकरे 
फिर भी लगातार आगे बढ़ते रहना तुम
अपनी सपनों की उड़ान भरना तुम.....

किताबों से अब यारी और 
रातों से दोस्ती करना तुम 
अपनी सपनों की उड़ान भरना तुम.....

गिर जाओ कभी तो फिर से 
 खड़े होना तुम आगे चलना तुम 
 अपने सपनों की उड़ान भरना तुम.....

ख्वाबों को हर रोज़ नया गढ़ना तुम 
हवाओं और तूफानों से हमेशा लड़ना तुम
अपनी सपनों की उड़ान भरना तुम.....

अपने मां पिता का सर ऊंचा करना तुम
कोई ऐसा काम करना तुम 
अपनी सपनों की उड़ान भरना तुम.....

Post a Comment

0 Comments