मंगल पर टूर: क्या वहां भी ट्रैफिक है?

500 साल बाद, जब पृथ्वीवासी मंगल पर टूर के लिए जाने लगे, तो एक नया सवाल सामने आया: क्या मंगल पर भी ट्रैफिक है?

अब सोचिए, अगर मंगल पर भी वही ट्रैफिक जाम होता, जो पृथ्वी पर होता है, तो क्या होता? मंगल की सड़कों पर वाहनों की लंबी कतारें लग जातीं, और लोग अपने मंगलगाड़ियों के शीशे चढ़ाकर गुस्से में गाने लगते - "हम भी क्या गा रहे हैं, मंगल पर भी वही परेशानियाँ हैं!"

जब पहली बार पृथ्वी से यात्री मंगल की सैर पर गए, तो उन्होंने सबसे पहला सवाल यही पूछा, "क्या यहाँ भी यातायात पुलिस है?" और यही सवाल उन्होंने मंगल ग्रह पर रहने वाले एलियन्स से किया। एलियन्स ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "यहाँ पर तो यातायात 'स्पीड' नहीं 'स्पेस' होती है।"

मंगल पर ट्रैफिक का जिक्र सुनकर, एलियन्स ने बताया कि वहाँ की सड़कों पर 'गति' बहुत ही अलग होती है। क्योंकि वहाँ के वाहन गति के बजाय स्पेस के हिसाब से चलते थे। सोचिए, मंगल पर चलते-चलते अचानक एक वाहन रॉकेट जैसा बन जाए और ट्रैफिक की बजाय हवा में उड़ने लगे!

लेकिन, एक मजेदार मोड़ तब आया, जब यात्रियों ने देखा कि मंगल पर पार्किंग बहुत मुश्किल है। वहाँ की सड़कों पर एक भी जगह खाली नहीं थी। कोई भी गाड़ी पार्क करने की कोशिश करता, तो उसका वाहन एक अदृश्य दीवार से टकरा जाता। फिर यात्री बुरी तरह चिल्लाते, "क्या यहाँ भी पार्किंग का सिस्टम पृथ्वी जैसा ही है?"

मंगल पर टूर का अनुभव इतना मजेदार था कि लोग अगले टूर पर जाने के लिए तरसने लगे, लेकिन एक सवाल हमेशा उन्हें परेशान करता रहा: "क्या अगर वहाँ भी ट्रैफिक जाम हो गया, तो क्या हमें मंगल की पार्किंग में भी जगह मिलेगी?"

इस अनोखे मंगल टूर ने यह साबित कर दिया कि भले ही हम दूसरे ग्रहों पर जा रहे हों, लेकिन ट्रैफिक और पार्किंग की समस्याएं कभी नहीं खत्म होतीं!


यह उपन्यास लेखक जेआर'बिश्नोई' द्वारा लिखा गया है, जो राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले हैं। बिश्नोई जी की सोच हमेशा अलग और जरा हटकर होती है। वे न केवल चीजों को गहरे से सोचते हैं, बल्कि हर पहलू को एक अलग दृष्टिकोण से देखने की कोशिश करते हैं, जिससे उनकी लेखनी में हर बार कुछ नया और मजेदार निकलकर सामने आता है। उनका यह अनोखा तरीका उन्हें न केवल एक सृजनात्मक लेखक बनाता है, बल्कि पाठकों को 500 साल बाद की दुनिया की एक रोचक और हास्यपूर्ण झलक भी देता है। उनका उपन्यास "500 साल बाद: हंसी के ग्रह पर" इस अलग सोच का परिणाम है, जिसमें भविष्य, एलियन्स और हंसी के बीच की मजेदार घटनाओं को एक नए और अनूठे अंदाज में प्रस्तुत किया गया है।

कभी-कभी सोचता हूं मैं, कुछ अलग ही करूं,फिर हंसी आई और बोला –"बस तू यही कर,जो तू कर रहा है!" -जेआर'बिश्नोई'

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