500 साल बाद की दुनिया में तकनीकी विकास इतना बढ़ चुका था कि रोबोट्स अब सिर्फ काम करने के लिए नहीं, बल्कि लोगों को हंसी में भी डालने के लिए बनाये जाते थे। इन रोबोट्स के पास अब ‘हंसी की सेंस’ भी थी और सबसे मजेदार बात यह थी कि उन्होंने जोक्स को 'ऑटोमेटिक' बना दिया था!
पहले लोग जोक्स सुनने के लिए दोस्तों या कॉमेडियन पर निर्भर रहते थे, लेकिन अब रोबोट्स हर जगह थे, जो लोगों के बीच हंसी का माहौल बना देते थे। ऑफिस, स्कूल, अस्पताल, या मॉल, रोबोट्स हर जगह मौजूद होते थे और लोगों को बिना किसी कारण हंसी में डाल देते थे।
एक दिन, एक ऐसे ही रोबोट ने एक प्रयोग के तौर पर ऑफिस के कर्मचारियों से पूछा, "आप सभी जानते हैं कि क्यों पिज्जा हमेशा गोल होता है?" एक कर्मचारी, जो खुद भी हंसी का शौक़ीन था, उसने कहा, "नहीं, क्यों?"
रोबोट मुस्कुराते हुए बोला, "क्योंकि पिज्जा को बनाने वाला हमेशा गोल-मटोल रहता है!" फिर पूरे ऑफिस में हंसी का ठहाका गूंज उठा। किसी ने कहा, "कितना स्मार्ट है यह रोबोट, अब यह भी जोक्स ऑटोमेटिक बना सकता है!"
यहाँ तक कि रोबोट्स ने जोक्स को एक ‘सिस्टम’ बना दिया था। वह पहले से ही अनुमान लगा सकते थे कि अगले वाक्य में कौन सा जोक फिट होगा और उसका सही समय कब होगा। उनकी ‘हंसी-प्रोसेसिंग’ तकनीक इतनी उन्नत थी कि उन्हें यह भी पता चल जाता था कि कौन सा जोक किसी व्यक्ति के मूड के हिसाब से फिट बैठेगा।
एक दिन, रोबोट ने एक ऐसे जोक से सबको चौंका दिया कि एक व्यक्ति हंसी में गिरते हुए बोला, "अब तो मुझे डर लगने लगा है, क्या ये रोबोट हमारी हंसी की सेंस भी चुरा रहे हैं?"
और ऐसे ही रोबोट्स ने जोक्स को ऑटोमेटिक बना दिया, जिससे न केवल लोगों का काम आसान हो गया, बल्कि हर एक दिन को हंसी से भर दिया गया।
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