हंसी की स्पीड: भविष्य में क्या है नया?

500 साल बाद की दुनिया में हर चीज़ बदल चुकी थी – लेकिन एक चीज़ जस की तस थी: हंसी। अब हंसी सिर्फ एक पल भर का एहसास नहीं थी, बल्कि यह एक पूरी स्पीड थी, जो सबके पास थी। यह एक तरह से “हंसी की रेस” बन चुकी थी, और हर किसी को यह रेस जीतने की कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी।

पृथ्वी पर हंसी की स्पीड अब इतना महत्वपूर्ण बन चुकी थी कि सरकारी कामकाजी घंटों में भी लोग अपनी हंसी की गति पर ध्यान देते थे। आपको यकीन नहीं होगा, लेकिन यहाँ तक कि रूटीन काम, जैसे चाय पीने या मेल चेक करने के दौरान भी हंसी का पैमाना तय किया जाता था।

इतना ही नहीं, यहाँ तक कि स्कूलों में भी बच्चों को हंसी की स्पीड सिखाई जाती थी। और ये कोई साधारण हंसी नहीं थी – इस हंसी को किसी भी प्रकार की उलझन या परेशानी में भी लाया जा सकता था, ताकि स्थिति हल्की और मजेदार हो जाए।

आजकल, जहाँ लोगों को अपनी परेशानियों से जूझते हुए हंसी की तलाश रहती है, 500 साल बाद की दुनिया में हंसी की स्पीड एक तरह से एक फैशन स्टेटमेंट बन गई थी। और हाँ, एलियन्स भी इस “हंसी स्पीड” में शामिल हो चुके थे। उनकी हंसी कभी इतनी तेज होती थी कि वे अपनी आवाज़ तक को भूल जाते थे, और सिर्फ हंसी के साथ संवाद करते थे।

आगे की कहानी में हम जानेंगे कि किस तरह से हंसी की स्पीड ने न केवल पृथ्वी बल्कि दूसरे ग्रहों को भी एक नया मोड़ दिया!


यह उपन्यास लेखक जेआर'बिश्नोई' द्वारा लिखा गया है, जो राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले हैं। बिश्नोई जी की सोच हमेशा अलग और जरा हटकर होती है। वे न केवल चीजों को गहरे से सोचते हैं, बल्कि हर पहलू को एक अलग दृष्टिकोण से देखने की कोशिश करते हैं, जिससे उनकी लेखनी में हर बार कुछ नया और मजेदार निकलकर सामने आता है। उनका यह अनोखा तरीका उन्हें न केवल एक सृजनात्मक लेखक बनाता है, बल्कि पाठकों को 500 साल बाद की दुनिया की एक रोचक और हास्यपूर्ण झलक भी देता है। उनका उपन्यास "500 साल बाद: हंसी के ग्रह पर" इस अलग सोच का परिणाम है, जिसमें भविष्य, एलियन्स और हंसी के बीच की मजेदार घटनाओं को एक नए और अनूठे अंदाज में प्रस्तुत किया गया है।

कभी-कभी सोचता हूं मैं, कुछ अलग ही करूं,फिर हंसी आई और बोला –"बस तू यही कर,जो तू कर रहा है!" -जेआर'बिश्नोई'


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