एलियन्स का पहला सवाल: पिज्जा क्यों गिरता है?

जैसे ही एलियन्स ने पृथ्वी पर कदम रखा, उनके पहले सवाल ने सबको चौंका दिया – "पिज्जा क्यों गिरता है?"

हम इंसान समझते थे कि एलियन्स हमारे विज्ञान और तकनीकी ज्ञान के बारे में सवाल पूछेंगे, लेकिन उनका पहला सवाल पूरी तरह से खाने-पीने के बारे में था। ये सवाल इतना अजीब था कि वैज्ञानिक, शोधकर्ता, और यहां तक कि पिज्जा प्रेमी भी चकरा गए। एलियन्स की यह जिज्ञासा पिज्जा के गिरने के बारे में थी, क्योंकि उनके ग्रह पर पिज्जा कभी नहीं गिरता था। वो तो बस हवा में तैरते रहते थे, बिना गिरने के!

एक दिन एलियन किंग, जो अपने ग्रह पर 'स्मार्ट टेक्नोलॉजी' के मास्टर थे, ने पृथ्वी पर आकर पिज्जा की प्लेट को देखा, जो किसी भी समय गिर सकता था। उन्होंने पूछा, "यह क्या है? क्यों यह गोल-मटोल चीज़ हमेशा गिर जाती है, जबकि हमारे ग्रह पर तो यह कभी नहीं गिरती?"

हमारे वैज्ञानिक बचे-खुचे ज्ञान के साथ सिर scratching करने लगे, और उनके अनुसार गिरते पिज्जा का कारण समझाया गया – "आपकी टेक्नोलॉजी तो बहुत अडवांस है, लेकिन यह तो हमारे ग्रह का 'गंभीर' मसला है!"

जब बात पिज्जा के गिरने की होने लगी, तो एलियन्स ने एक और सवाल पूछा: "क्या यहां का पिज्जा भी 'ग्रेविटी' के साथ मिलकर गिरता है, या फिर इसमें कोई और गुप्त तकनीकी मुद्दा है?"

यह सवाल इतना दिलचस्प था कि पृथ्वी के सभी पिज्जा प्रेमियों ने इस पर विचार करना शुरू कर दिया। क्या सचमुच पिज्जा का गिरना कुछ गहरी वैज्ञानिक समस्या है, या फिर यह सिर्फ एक ‘फिजिक्स का फन’ है?

एलियन्स के इस सवाल ने पृथ्वीवासियों को फिर से हंसी के ठहाकों में डुबो दिया, और यह सवाल पिज्जा की दुकान से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक चर्चा का विषय बन गया।


यह उपन्यास लेखक जेआर'बिश्नोई' द्वारा लिखा गया है, जो राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले हैं। बिश्नोई जी की सोच हमेशा अलग और जरा हटकर होती है। वे न केवल चीजों को गहरे से सोचते हैं, बल्कि हर पहलू को एक अलग दृष्टिकोण से देखने की कोशिश करते हैं, जिससे उनकी लेखनी में हर बार कुछ नया और मजेदार निकलकर सामने आता है। उनका यह अनोखा तरीका उन्हें न केवल एक सृजनात्मक लेखक बनाता है, बल्कि पाठकों को 500 साल बाद की दुनिया की एक रोचक और हास्यपूर्ण झलक भी देता है। उनका उपन्यास "500 साल बाद: हंसी के ग्रह पर" इस अलग सोच का परिणाम है, जिसमें भविष्य, एलियन्स और हंसी के बीच की मजेदार घटनाओं को एक नए और अनूठे अंदाज में प्रस्तुत किया गया है।

कभी-कभी सोचता हूं मैं, कुछ अलग ही करूं,फिर हंसी आई और बोला –"बस तू यही कर,जो तू कर रहा है!" -जेआर'बिश्नोई'


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