कुत्तों का नया काम: एलियन्स को सिखाना!

500 साल बाद, जब धरती पर इंसानों ने आलस के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए, तो "शिक्षा" की जिम्मेदारी अब कुत्तों को सौंप दी गई! लेकिन सबसे बड़ा सरप्राइज़ तब आया, जब एलियन्स ने धरती पर आकर कहा –

"हमें भी सीखना है! लेकिन इंसानों से नहीं, कुत्तों से!"

अब धरती के सबसे समझदार प्राणी – कुत्ते – एलियन्स के नए टीचर बन गए!


कुत्तों की एलियन क्लास शुरू!

धरती पर "बौद्धिक भौं-भौं विश्वविद्यालय" खोला गया, जहाँ कुत्ते एलियन्स को इंसानों की लाइफस्टाइल सिखाने लगे।

एलियन्स की पहली क्लास – "स्वागत कैसे करें?"

कुत्ते बोले –
"जब भी कोई इंसान घर आए, तो सीधे उस पर कूद जाओ और प्यार से चाटना शुरू करो!"

  • एलियन्स ने इसे सीरियसली लिया।
  • अगली बार, जब अमेरिका के राष्ट्रपति एलियन से मिलने गए, तो एक एलियन उछलकर उनकी टांग पकड़कर बैठ गया!
  • सिक्योरिटी अलर्ट हुआ, पर एलियन बोला –
    "मैंने तो बस वेलकम किया है!"

दूसरी क्लास – "खाने के लिए कैसे एक्साइटेड हों?"

कुत्तों ने सिखाया –
"अगर खाना पसंद न आए, तो प्लेट को देखकर रोनी सी शक्ल बना लो!"

  • एलियन्स ने इसे अपनाया।
  • एक बार उन्हें स्पेस स्टेशन में खाना दिया गया –
    "स्पेस पिज़्ज़ा!"
  • एलियन्स ने प्लेट देखकर ऐसा मुँह बनाया कि वैज्ञानिकों को लगा – "कहीं खाने में ज़हर तो नहीं!"
  • हकीकत में, वो सिर्फ कुत्तों की तरह एक्टिंग कर रहे थे!

तीसरी क्लास – "दोस्ती कैसे करें?"

कुत्तों ने बताया –
"अगर दोस्ती करनी हो, तो पहले किसी की टांग सूंघो!"

  • एलियन्स ने इसे भी फॉलो किया।
  • जब एक एलियन, ब्रिटेन की महारानी से मिलने गया, तो उसने पहले उनकी टांग सूंघ ली!
  • पूरी दुनिया में हंगामा मच गया!
  • बाद में एलियन ने सफाई दी –
    "मैं तो बस दोस्ती का इशारा कर रहा था!"

जब इंसानों ने कुत्तों से रिक्वेस्ट की!

एक दिन, इंसानों ने कुत्तों से हाथ जोड़कर कहा –
"प्लीज़, एलियन्स को कुछ और मत सिखाओ, वरना हमारी इज्ज़त पूरी आकाशगंगा में उड़ जाएगी!"

कुत्ते मुस्कुराए और बोले –
"अगर चाहते हो कि हम सिखाना बंद करें, तो हमें रोज़ाना 5 बिस्किट्स और 2 एक्स्ट्रा पेटिंग दी जाए!"


अब अंतरिक्ष में नया नियम बना –

"अगर एलियन धरती पर आए, तो पहले कुत्तों से ट्रेनिंग लें, नहीं तो एंट्री बैन!"

अब एलियन्स जब भी धरती पर आते, तो पहले कुत्तों से सीखते और फिर इंसानों से मिलते – "ताकि कोई गड़बड़ न हो!"


यह उपन्यास लेखक जेआर'बिश्नोई' द्वारा लिखा गया है, जो राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले हैं। बिश्नोई जी की सोच हमेशा अलग और जरा हटकर होती है। वे न केवल चीजों को गहरे से सोचते हैं, बल्कि हर पहलू को एक अलग दृष्टिकोण से देखने की कोशिश करते हैं, जिससे उनकी लेखनी में हर बार कुछ नया और मजेदार निकलकर सामने आता है। उनका यह अनोखा तरीका उन्हें न केवल एक सृजनात्मक लेखक बनाता है, बल्कि पाठकों को 500 साल बाद की दुनिया की एक रोचक और हास्यपूर्ण झलक भी देता है। उनका उपन्यास "500 साल बाद: हंसी के ग्रह पर" इस अलग सोच का परिणाम है, जिसमें भविष्य, एलियन्स और हंसी के बीच की मजेदार घटनाओं को एक नए और अनूठे अंदाज में प्रस्तुत किया गया है।

कभी-कभी सोचता हूं मैं, कुछ अलग ही करूं,फिर हंसी आई और बोला –"बस तू यही कर,जो तू कर रहा है!" -जेआर'बिश्नोई'

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