29 दिसम्बर और मै/ जेआर'बिश्नोई'

सर्द रात 
मन में चलती हजारों बाते
कभी तो मन करता
निकल जाऊँ 
कही दूर 
जहाँ कोई न हो। 

कभी मन करता 
भूल जाऊँ सभी बाते
और एक कोने में बैठ कर देखूँ
साल का कैलेंडर
जिसमें
29 दिसम्बर न हो। 




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