बातें बनी,
समझौते हुवे,
अफवाये फैली,
एक लड़का,
लड़का रहा नहीं।
हुआ ऐसे कि
एक लड़की से
थोड़ी सी बात क्या कर ली
संकीर्ण,
तुच्छ,
और औछि मानसिकता
के लोगों ने
उसको
आशिकी का नाम देकर
साबित कर दिया
की
एक लड़का,
लड़का रहा नहीं।
लेकिन वो गलत नहीं था।
वो लत में भी नहीं था।
उसे बनाया गया
जो वो सोच नहीं सकता था
इज्जत,
दोस्ती,
और नाम
का मजाक बना
और लूटी गयी वो लड़की
जो
सुंदर थी,
पवित्र थी,
खुले विचारों की थी,
सच में
एक लड़का,
लड़का रहा नहीं।
वो समझ नहीं सका।
वो यह सोच भी नहीं सका।
हुआ क्या
कैसे हुआ?
उस पर अंगुली उठी,
आवाज आयी,
शोर भी हुआ,
तमाशा भी बना,
मगर सोचा जाए तो
कुछ छिछोरे,
छपरी,
या कह दू
टपोरी
लड़कों की वजह से
एक लड़का,
लड़का रहा नहीं।
आखिर समझ आया उसे
कुछ
तब तक, वो
एक लड़का,
लड़का रहा नहीं।
0 Comments