वो तेरी बात /पूजा श्रीवास्तव

वो तेरी बात होंठों की मुस्कान के साथ 

कब कट जाते थे दिन  

और रात खबर न 

होती थी वो तेरी पायल की 

छन-छन की मधुर आवाज़ 

जैसे कई वंद्ययंत्र कर रही

 हंसी ठिठोली बैठी साथ

क्या गजब शौक थे तेरे

इतनी बाते लाती कहां 

थी यार मगर तुझे 

नज़र लग गई 

 यार पता है तू कही 

भी जाती थी तेरी याद 

 बहुत आती थी वो

 स्कूल वाले बैग में तेरे हमारे 

मेकअप बिंदी 

 लिपिस्टिक आइलाइनर 

सब पड़ी पड़ी ऐसा 

मानो जैसे मुस्कुराती हो

अब तो बहुत बड़ी हो 

 गई होगी न यार और अब तेरे 

 नये संगी साथी होगे क्या तू करती हैं 

अपने पुराने दोस्तों को याद 

या भुल कर पुरानी बात अपनी 

जिन्दगी में आगे बढ़ गई 

यार वो तेरी प्यारी बात आज भी है याद

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