वो तेरी बात होंठों की मुस्कान के साथ कब कट जाते थे दिन और रात खबर न होती थी वो तेरी पायल की छन-छन की मधुर आवाज़ जैसे कई वंद्ययंत्र कर रही हंसी ठिठोली बैठी साथ क्या गजब शौक थे तेरे इतनी बाते लाती कहां थी यार मगर तुझे नज़र लग गई यार पता है तू कही भी जाती थी तेरी याद बहुत आती थी वो स्कूल वाले बैग में तेरे हमारे मेकअप बिंदी लिपिस्टिक आइलाइनर सब पड़ी पड़ी ऐसा मानो जैसे मुस्कुराती हो अब तो बहुत बड़ी हो गई होगी न यार और अब तेरे नये संगी साथी होगे क्या तू करती हैं अपने पुराने दोस्तों को याद या भुल कर पुरानी बात अपनी जिन्दगी …
अ से अनार आ से आम वाले लोग और जमाने कहां दिखते हैं अब धीरे धीरे सब गुमनाम हो चला और अब डिजिटल युग है तो अब ही के पहले ई लिखते हैं और अफसोस की बात तो यह है कि अपने कुल की चिंता सबको सताती है तेरा मेरा इसका उसका दुनिया को दिखता है मगर अ आ क ख का किताब अब हर घर में कम दिखता है और डिजिटल युग में है न इसलिए हम भी डिजिटल ही लिखते हैं और डायरी में समय बाद दिखते हैं अब ये मत कहिएगा की डिजिटल कागज कलम में वो बात कहां जो बिन डिजिटल कलम में होती है अरे क्यों नहीं होती है अरे वो भी तो देखा जाए तो कागज़ कलम ही है है बस यह बात होती है कि ये क…
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