उनकी खामोशी/अश्व़िनी विलास पारस्कार

आंखें उसकी आज मुझसे,

बहुत कुछ कह कर गई।

होंठ तो उसके खामोश थे मगर,
उसके खामोशी ने हर बात कही।

जाने क्या कहना था उसे,
चेहरे पर एक उलझन सी थी।
पर आंखों में ही हर बात उनके,
महसूस हमने आंखों से की थी।

के यह दिल भी मैंने तुझे दिया,
हर सुख दुख तेरे नाम किया।
छोड़ ना जाना यूं भंवर में मुझे,
खुद से ज्यादा भरोसा तुझपे किया।

चलो एक वादा हम भी करते हैं,
बनके चलेंगे तेरे साथ परछाई।
जिस दिन छाव लगे ना एहसास की,
उस दिन समझना हमारी सांसे रुक गई।
 जो रहता था तुम्हारे दिल में, 
वह जगह भी खाली हो गई।

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