शिक्षा का श्रृंगार देना,उनको हर अधिकार देना।
अपनी जमीं जायदाद भी सब उन पर वार देना।
उनको उनकी जरूरत का सारा सामान देदो।
बैठने को जमीं, घूमने को सारा आसमान देदो।
मगर ध्यान रहे उनमें संस्कारो की कोई खराबी ना हो।
तुमने जो बेटे जन्मे नालायक, वहशी व शराबी ना हो।
मानती हूं कि औलाद ही होती हैं स्त्रियों का गहना।
मगर फिर भी चाहती हूं मै एक बात तुमसे कहना।
तुम हत्यारे,कातिल, दरिंदे की कभी मां ना कहलाना।
इससे तो अच्छा है मेरी माताओं तुम बांझ रह जाना।
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