खाई का एहसास होता है ।
नही जीना हमे अभी ,
डुब जाने का आभास होता है ।
छलनी हुए दिल में ।
जज़्बात भी कहीं खो गए।
छाँव नही रही तो ,
घाव भी बढ गए।
राह को मोड़ना था ।
हम मोड पर रुक गए।
उसूलों को मंजुर नही था।
अपने-आप से जुड गए।
दिल से समझौता
करते करते थक गए।
विचार का समर्थन झूठा,
नकाब को अपनाते गए।
0 Comments