जल रहे है जंगल
पिघल रहे है पहाड़
न जाने किस तरह की है
ये प्रकृति की दहाड़ |
ये जहान, ये हरियाली
ये पेड़, ये आसमान की लाली
भरा पूरा कुदरत-ऐ-मंज़र मत बिगाड
न जाने किस तरह की है
ये प्रकृति की दहाड़ |
चलो बचाके रखे बच्चों के लिए
छोटीसी दुनिया
हमने तो जी ली हमारी ज़िंदगी
उनके लिए ना छोडे गंदगी
बहा ना ले जाए
सबकुछ तूफान और बाढ
न जाने किस तरह की है
ये प्रकृति की दहाड़ |
दुशीत पर्यावरण
प्लास्टिक का कहर
रोम रोम कांपता है
देखके जानवरो के हाल
मानव जाती का कांड
न जाने कि तरह कि है
ये प्रकृती की दहाड ।
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