पहली मुलाकात /अर्पित सर्वेश

जब देखा मैं तुमको पहली बार,
तभी हो गया था मुझको तुमसे प्यार

फिर मैंने तुम्हारा नंबर पाया,
तुमको अपने दिल में बसाया

कुछ दिनों तक हमदोनो की बातें हुई,
शायद ही होगा तुमसे सुंदर कोई

तुम हंसते हुए सुन्दर दिखती हो,
मुझको अपने दिल में रखती हो

आखिरकार हम दोनो की मुलाकात हो गई,
अर्पित तुम्हारे और तुम अर्पित के साथ हो गई

काफी अच्छा लगा था मुझे जब हम मिले थे पहली बार,
अब कभी उस तरह से महसूस मुझे न होगा यार

तुम एक सुंदर सा सपना बनकर आई थी,
सारी दुनिया में सिर्फ तुम ही भाई थी

तुम अब न जाने कहां हो मैं नही जानता,
मुझ पर सिर्फ तुम्हारा हक है ये मैं हमेशा हूं मानता

दुआ है की तुम वापस आ जाओ मेरे पास,
आज भी तुम्हारे आने की अर्पित को है आस

Post a Comment

0 Comments