भीड़ के बीच,
चमका एक चेहरा,
अद्भुत, अनोखा, अतीत।
हाथों में रुद्राक्ष,
आँखों में बात,
मोनालिशा के व्यक्तित्व ने
जगाई सौगात।
भोली मुस्कान,
सादगी का श्रृंगार,
शब्दों में जादू,
मन में संस्कार।
जो देखा,
वही जुड़ गया,
उसका किरदार
हर दिल को छू गया।
प्रयागराज की गलियों में
जो बसी,
माटी की खुशबू में
वो रची।
मोनालिशा,
उसका नाम है,
कुंभ का दीप,
मालाएँ बेचना जिसका काम।
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