तुम मेरे सामने जब आओगी मैं डर से काँप जाऊँगा…
कोई तन्हा रहकर भी जी सकता है दुनिया में…
अपने नादान दिल को बार बार ये समझाऊँगा…
चाहतें होती रहेंगी जब तक क़ायम जहान है…
लेकिन मैं अपनी मोहब्बत तुमसे कैंसे जताऊँगा…
रोऊँगा तहेदिल से मग़र ख़ुश दिखूँगा…
नम नहीं होंगी आँखें ख़ुद को मैं इतना सताऊँगा…
तूँ जब चला जायेगा ये शहर वीरान करके आनंद…
दिल सोचकर घबराता है कि फिर कब तुझे देख पाऊँगा…
0 Comments