बन जाऊ मै ईटनींव की तुम अपना महल बनाओ.. श्रद्धा सुमन के फूल खिले जहाँ ऐसा तुम बाग लगाओ.. पर सहज नहीं खुद ही गढ़ जाना, तुम भी तो हाथ लगा ओ.. मुझको स्विकार है बलिदान खुद का, तुम महल में राम बसाओ.. द्वेष भेद रहित हो देश मेरा, ऐसा राम राज्य लाओं. ॠषियो की ये भारत भूमि, वसुधैव कुटुंबकम् का अलख जगाओ.. एक नव भारत की आस में वीरों ने कई बलिदान दिए,, स्वतंत्र तिरंगा लहराने को लाखो लोगो ने प्राण त्याग दिए.. उनके बलिदान करने सार्थक नव निर्माण की निवं लगाए.. शौर्य शान्ति हरियाली का ये देश आऔ हम इसका मान बढ़ाए अपने भारत को विश्व विजयी बनायें…
नन्ही चिड़िया पंख फैलाए देख रहीं थी अमबर को,, अभी अभी है पंख फैलाए उड़ान भरी है क्षण भर को.. इतने में तेज हवा का झौंका आया, झौकै ने कहर बरपाया, घरौंदा उजाडा, चिड़िया को गिराया,, तौडी शाखै खुद इतराया.. टूटे जो पंख बदला जौ रूप,, रौई चिड़िया हौके मूक.. नन्ही चिड़िया छुपती डोले, जाऊ कहाँ खुद से बोले... नहीं नहीं अब डरूँ नहीं, डर डर के मैं मरूँ नहीं.. माना रैना घनेरी है, पर सवेरा काफी है,, हवा के संग दांव लगाने सपनों की उड़ान बाकी है.. आज थोड़ी सी है चुप, थोड़ी सी है खामोश,, खुद में भरकर साहस का जोश... थोड़ी सी मुस्काती है,, आजमा ती है …
परिवार लगने ना दे जो कष्टों की धूप, वो छत नहीं पिता का साया है.. चुभने ना दे जो कांटा कोई, माँ ने वो ममता का आंचल बिछाया है.. हर पल पल में झगड़ा, हर पल में टकरार है,, रह भी ना पाए एक दूजे बिना, यही तो भाई बहन का पयार है.. सुख में साथ मुसकरा ते,, दुख मे सब उदास हो जाते,, यही घर संसार है,, एक दूजे के लिए जीते जहाँ इसी का नाम परिवार है.. .
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