जीत का लक्ष्य/आर नीरज जयनारायण

अब वक़्त की बेड़ियाँ टूटेंगी,
संघर्ष की ज्वालाएँ छूटेंगी।
लक्ष्य से जो भी टकराएगा,
हर ठोकर की चिंगारी फूटेगी

अब हार का कोई नाम नहीं,
बस जीत की ही पहचान होगी।
जो वक्त से पहले झुके नहीं,
उन पैरों में ही उड़ान होगी।

मैं वक्त की ज़ंजीरें तोड़ूंगा,
संघर्ष के पर्वत को चीरूंगा।
जो सोचे कि मुझको रोक सके,
मैं उसकी भी तक़दीर लिखूंगा।

अब खौफ से हाथ ना रुकेंगे,
अब नाम से पहले “अहम” होगा।
जहाँ तक नजर की हद जाएगी,
हर शिखर पर मेरा ही कदम होगा।

अब मंज़िल मुझे आवाज़ देगी,
अब जीत मुझे सलाम करेगी।
अब उड़ान मेरी आसमान होगी,
अब दुनिया मेरी मिसाल करेगी।

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