आजादी पसंद करती हूँ,
चाह नहीं की मै होटल जाऊं,
या जाऊं पार्क ,
आधुनिकता में पली बढ़ी ,
संस्कारों पर चलने वाली लड़की हूँ ,
चाह नहीं की मै अपनी हर जिद पूरी करूँ,
पर देश धर्म पर मिटने वाली लड़की हूँ ,
चाह नहीं कोई राजकुमार मुझे अपना बनाये,
बस श्याम से प्रीती करती हूँ ,
आधुनिकता में पली बढ़ी ,
संस्कारों पर चलने वाली लड़की हूँ ,
चाह बस यही वृन्दावन में बस जाऊं ,
अपने प्रियकांतजू के चरणों में स्थान पाऊं ,
अपने कर्तव्यपथ पर चलने वाली खुशमिज़ाज़ सी लड़की हूँ ,
आजाद ख्याल की लड़की हूँ ,
आजादी पसंद करती हूँ ।
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