मधुर वाणी सबको सुहाए, कटु वचन से सब घबराये , सीधी बात कहने से होत अपने पराये , अमृतमयी वाणी जख्मों पर मरहम लगाए , कटु वचन सुन अपना पराया बन जाये , मीठी वाणी परायों को भी अपना बनाये अक्सर देखा मैने ,मीठे स्वर बोलने वाले राज दिलों में छुपाये सबकी फ़िक्र करने वाले, कटु वचन से समाज को फूट आंख ना सुहाए , अक्सर मीठे स्वर बोलने वाले ,मन में जहर घोलते है, शायद इसीलिए शब्दों को तोल कर बोलते है , सच से घबराकर लोग झूठ को गले लगाते है , शायद इसलिए झूठे लोग समाज को ज्यादा पसंद आते है ।
आजाद ख्याल की लड़की हूँ, आजादी पसंद करती हूँ, चाह नहीं की मै होटल जाऊं, या जाऊं पार्क , आधुनिकता में पली बढ़ी , संस्कारों पर चलने वाली लड़की हूँ , चाह नहीं की मै अपनी हर जिद पूरी करूँ, पर देश धर्म पर मिटने वाली लड़की हूँ , चाह नहीं कोई राजकुमार मुझे अपना बनाये, बस श्याम से प्रीती करती हूँ , आधुनिकता में पली बढ़ी , संस्कारों पर चलने वाली लड़की हूँ , चाह बस यही वृन्दावन में बस जाऊं , अपने प्रियकांतजू के चरणों में स्थान पाऊं , अपने कर्तव्यपथ पर चलने वाली खुशमिज़ाज़ सी लड़की हूँ , आजाद ख्याल की लड़की हूँ , आजादी पसंद करती हूँ ।
एकल परिवार की चाहत सबको, सयुंक्त परिवार की चाहत ना किसी को, जिस माँ बाप ने बचपन संवारा, वो ही दर दर भटकते है, एक वक्त की रोटी के लिए तरसते है, बच्चे शौक से अपने अरमान पूरे करते, माँ बाप वृद्धाश्रम जाने को मजबूर होते है, बुजुर्गों का सम्मान कहीं छिन सा गया है, माँ बाप होते थे भगवान लेकिन अब माँ बाप बच्चों लिए माँ बाप ना रहे, काश ! फिर से वो संस्कार लौट आते, माँ बाप घर पर खुश रहते, जिस घर में माँ बाप खुश रहते, उस घर में स्वयं भगवान वास करते , एकल परिवार ने छीन लिया माँ बाप से उनकी संतान ।
ईमानदारी ठोकरे खा रही, गरीबी से जीवन बेहाल हुआ, मजबूरियों का फायदा उठाती दुनियाँ, आज इंसानियत फिर से शर्मसार हुई, पैसो की खातिर जीता इंसान, पैसों की खातिर बिक जाता इंसान, शिक्षा आज पैसो पर टिक गयी, गरीबों से आज शिक्षा ना जाने क्यों छिन गयी, बेईमानों ने अपना आतंक फैलाया है, हर मजबूर को अपना शिकार बनाया है, डॉक्टर मौमिता की घटना ने पूरे देश को रुलाया है, ये नहीं एक लड़की की कहानी,मौमिता ,निर्भया से लेकर ना जाने कितनी बेटियां गवांती है अपनी जान को, पहले तरसती संसार में आने को, फिर बिलख्ती,परेशान होती अपना संसार बनाने को, परिवार की इजाजत लेकर अपना …
बेटी हूं ,बेटी की जिंदगी कहाँ आसान होती है, पग पग पर कांटों में डूबी नय्या होती है, सपने देखे अगर तो कहाँ पूरे कर पाती है, आसानी से मिलती नहीं मंजिले बेटियों को, कुछ को सुरक्षा का भय,कुछ पर परिवार की बंदिशे होती है, बेटी हूँ,बेटी की जिंदगी कहाँ आसान होती है, मंजिल पाना है कितना दुर्लभ ,बेटी ही मजबूरियों का शिकार होती है, दुख को सहकर आसुओं को पीती है, अपने ख्वाब दिल में दबाकर औरों के लिए जीती है, बेटी हूँ,बेटी की जिंदगी कहाँ आसान होती है, अपनों की फ़िक्र में जीवन बिताती है, बेटी है ,जो खुद को भुलाकर अपनों की खुशियां संजोती है, बेटी हूं ,बेटी की …
जग से जुदा है ये बंधन , कितना अनमोल है ये बंधन, हमारी खुशियों का संगम है ये बंधन, वो ही मेरी खुशी है,मेरे होठों की हँसी है, जो मेरी हर बुराई को नजरअंदाज करती है, वो माँ है मेरी जो मुझे हद से ज्यादा प्यार करती है, मेरी माँ ही मेरी सच्ची दोस्त है, वो ही मेरी गुरु है और वो ही मेरी पाठशाला है, बिन कहे वो सब कुछ समझ जाती है, मेरे हर गम को पहचान जाती है, माँ तू महान है ,मेरे कई दोष तू अंदर ही दफ़न कर जाती है, तपती धूप में पेड़ों की छाया है ये बंधन, बहती नदियों का किनारा है ये बंधन, दुनियां की सबसे महंगी दौलत है ये बंधन, जग से जुदा है ये बंधन।
दुनियां के झूठे सारे फ़साने होते है, अपने तो अपने होते है, प्यार के झूठे सारे नग्में होते है, अपने तो अपने होते है, रिश्ते सारे पैसों पर ही टिके होते है , दिल के रिश्ते तो बस ख्यालों में होते है, सपने तो गरीबों के भी होते है, लेकिन अमीरों से बहुत छोटे होते है, अपने तो अपने होते है, रिश्तों में झूठी कसमें और वायदे होते है, सपनों के कई हसीन पैमाने होते है लेकिन अपने तो अपने होते है ।
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