ग्राम्य सुनहरे मोतियों के लिए, हृदय सागर से बरसात लिखूं जन कृत्यों की काया में सूखी धरती की प्यास लिखूं जब मैं देशप्रेम का इतिहास लिखूं पथ पर पथिक गिरोह को देख राजा रंक का आभास लिखूं आमजन की मृत्यु को सिर्फ एक ल्हास लिखूं गुजर जाता है जीवन एक न्याय पाने को पर मंत्री जी का न्याय खास लिखूं जब मैं देशप्रेम का इतिहास लिखूं सदियों से बंधन में रहने वाली स्त्रियों के आज़ादी की आस लिखूं पर हैवानों की नजरों में नारी को सिर्फ एक प्यास लिखूं नैतिकता की सीख देने वालों दुष्कर्म को पुरस्कृत करूं सज्जन को बदमाश लिखूं जब मैं देशप्रेम का इतिहास …
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