बंजर धरती के आँचल में, सपनों का बीज बोया, कुदरत की गोद से उठाकर, पत्थरों को जोड़ा। खाली हाथों ने गढ़ी, सभ्यता की एक नई कहानी, हर ईंट में बसी है, मेहनत और बलिदानी। निर्माण वो, जो मिट्टी को महल बना दे, साधारण को असाधारण की राह दिखा दे। जहाँ सूने पथ पर उग आए हों दीपों के साए, और अधूरी उम्मीदें भी, आकार पाए। हथौड़ों की धुन पर गूँजता है जो संगीत, उसमें छिपी होती है, श्रमिक की हर प्रीत। पसीने की बूँदें, खून का रंग, हर इमारत में छिपा है संघर्ष का संग। पर निर्माण सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं, ये रिश्तों का भी पुल है कहीं। जहाँ मनुष्य मनुष्य से जुड़े, और हृदय …
Social Plugin