अ से अनार
आ से आम
वाले लोग और
जमाने कहां दिखते हैं अब
धीरे धीरे सब गुमनाम हो
चला और अब डिजिटल युग
है तो अब ही के पहले ई
लिखते हैं और अफसोस की
बात तो यह है कि अपने कुल की
चिंता सबको सताती है तेरा
मेरा इसका उसका दुनिया को
दिखता है मगर अ आ क ख का किताब
अब हर घर में कम दिखता है
और डिजिटल युग में है न इसलिए हम
भी डिजिटल ही लिखते हैं और डायरी में समय बाद दिखते हैं अब ये मत कहिएगा की डिजिटल कागज कलम में वो बात कहां जो बिन डिजिटल कलम में होती है अरे क्यों नहीं होती है अरे वो भी तो देखा जाए तो कागज़ कलम ही है है बस यह बात होती है कि ये कुछ चीजें बातो एहसासों एवं भावनाओ से
दोनों थोड़ी सी अलग होती है मगर का कार्य एक ही है कि दोनों स्वर शब्द
वाक्यों को मिलाकर हमारी ही कहानी
संजोती है
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