माँ /वर्षा सिंह

जग से जुदा है ये बंधन ,
कितना अनमोल है ये बंधन,
हमारी खुशियों का संगम है ये बंधन,
वो ही मेरी खुशी है,मेरे होठों की हँसी है,
जो मेरी हर बुराई को नजरअंदाज करती है,
वो माँ है मेरी जो मुझे हद से ज्यादा प्यार करती है,
मेरी माँ ही मेरी सच्ची दोस्त है,
वो ही मेरी गुरु है और वो ही मेरी पाठशाला है,
बिन कहे वो सब कुछ समझ जाती है,
मेरे हर गम को पहचान जाती है,
माँ तू महान है ,मेरे कई दोष तू अंदर ही दफ़न कर जाती है,
तपती धूप में पेड़ों की छाया है ये बंधन,
बहती नदियों का किनारा है ये बंधन,
दुनियां की सबसे महंगी दौलत है ये बंधन,
जग से जुदा है ये बंधन।

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