गुजारिश/अश्व़िनी विलास पारस्कार

ऐ चांद...मुझसे खफा ना होना,
रूठ के मुझसे यूं बादलों में ना छुप जाना।

 तुझ में ही तो मैं उन्हें देखती हूं हर रात तुझसे जो भी कहूं वह सुनते हैं हर बात। 

वो भी तुझे देख कर याद मुझे करते हैं
तुम्हें देखने का बहाना बनाकर हर रात मुझे तकते हैं।

वो तुझ में ही मुझे देखते हैं मैं भी उन्हें तुझ में देखती हूं, 
फिर से बादलों में ना छुप जाना एक गुजारिश में तुझसे करती हूं।
कि मैं तुझ में ही उन्हें देखती हूं।

ऐ चांद...जब मैं मुस्कुराऊं
तू भी मुझे देख कर मुस्कुरा देना,
जब देखेंगे वह तेरी मुस्कुराहट 
समझ जाएंगे वह मेरी मुस्कान का बहाना।

 पता नहीं ऐ चांद....मुझ पर तेरे एहसान हर बार कितने हुए होंगे।
हर पल जब वह रहते होंगे उदास 
एक तेरे ही जरिए महसूस मुझे करते होंगे।

 लाखों दुआएं मिलेंगी तुझे 
इन दो दिलों का जरिया बनने के लिए।
ना जाने कितने होंगे ऐसे प्रेमी
जो तुझ में ही एक दूजे को देख कर जिए।

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