देश के सुरक्षा की होती है पूरी ज़िम्मेदारी,
सीमा के दोनों पार करते हैं पहरेदारी,
हो बाहरी हमला या भीतरघात की साजिश,
सहकर अपने ऊपर पूरी करते अपनी हिस्सेदारी,
मिट्टी को माँ कहते हैं, दुश्मन को भी इन्सान समझते हैं,
दहशतगर्दों के मन में खौफ़, महफूजियत आमजन में भरते हैं,
धरती, अम्बर और समुंदर तक माँ की निगरानी करते हैं,
विषम परिस्तिथियों में हर सैनिक पूरी सेना बनने को तत्पर रहते हैं,
उनकी अमर गाथा में "अभय" क्या ही कह-लिख सकते हैं,
अपने ओर से कुछ उत्साह और समर्पण उनको अर्पित करते हैं।
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