प्रेम/दिव्या दीक्षित

तेरे माथे को चूमूँ या तुझपे फ़ना हो जाऊँ, 
मैं बनी रहूँ तेरी वो प्यारी सी गलती या गुनाह हो जाऊँ ..

तेरा दिल और दिमाग जो झगड़ता है मेरे लिये, 
एक बात बताना मैं बनी रहूँ तेरा वो झगड़ा या सुलाह हो जाऊँ

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