चलती हवा कान में मल्हार गाती है,
बंद आंखों से उसकी तस्वीर दिखाती है |
बैठे बैठे उसकी सोच में डूब जाते हैं हम,
और वो हमेशा हमसे नजरे चुराती है ||
दिखाती है नजरिया अपना आंखों से सताती है ,
इश्क करने का हुनर, मुझको सीखाती है |
कुछ हद तक दिल में तो, उसके भी प्रेम दिखता है,
पता नहीं फिर किन बातों से इतना घबराती है ||
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