प्राणी मिला मुझसे बड़ा ही विचित्र, कहने को वो मेरा मित्र,
चेहरे पर है हीरे सा नूर, सभी गुणों से है भरपूर,
शारीरिक श्रम से रहते कुछ दूर, मुह से हर काम करते जरूर,
पड़े-पङे ग़र मिल जाए भोजन कर लेते फिर ताने मंजूर।
दिनचर्या उनका बिल्कुल सामान्य, बिस्तर में ही हो जाता सब योग ध्यान,
नित्य कर्म, मंजन दातुन, मुह धुल जाना स्नान समान,
प्रत्येक काम में मौखिक श्रम ही मात्र उनका योगदान,
निन्दा करना, राय देना, प्रपंच गढ़ना उनकी शान ।
लेजी, केयरलेस, इरेस्पोंसिबल जैसे शब्दों से होते हैं अलंकृत,
अपमान, ताना आदि दिल से नहीं लगाते चाहे हो जाए कितने भी तिरस्कृत,
मुश्किल काम को कर लेते सुगम बुद्धी इनकी कुछ प्रसंशनीय,
ऐंठ-उमेठ, खींचतान से कर कुछ काम कर लेते खुद को पुरस्कृत।
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