मैं नहीं समझ पाई कि
क्या जताना चाहते हैं लोग
कौन सी व्यस्तता है
जो समाप्त नहीं होती
कौन सी उपलब्धि है
जो प्राप्त नहीं होती
महत्व होता है
जीवन के प्रत्येक क्षण का
महत्व होता है
संपूर्ण धरा
और उसमें ही निहित कण का
फिर क्यों भूल जाते हैं हम
कि वास्तव में जीवन ही बीत रहा है
वर्तमान भी कभी अतीत होगा
और भविष वर्तमान
किन्तु बिल्कुल वैसा नहीं
जैसा हम सोचते हैं
बल्कि होगा वैसा
जैसा हम गढ़ रहे हैं
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