भारत/अर्पित सर्वेश

देश को आजाद हुए 78 साल हो गए हैं,
आज भारतीय ही भारतीय के खिलाफ हो रहे हैं 

28 राज्य में बटा ये देश अलग अलग मानसिकता से चलाया जा रहा है,
पहले अंग्रेज द्वारा अब खुद के द्वारा अपनो का घर जलाया जा रहा है

आजादी हम किस लिए मनाएं, आखिर तिरंगा किस खुशी में फ़ैराएं,
जब जब भारत का विकास नहीं हो रहा,तो भाग्य विधाता क्यों गाएं

किसी भी दफ्तर में किसी में ईमानदारी नहीं है,
देश के मतदाता को अपने अधिकारों की जानकारी नहीं है

कुछ अच्छा भी हुआ ऐसा मैं आज तो नहीं कह सकता,
जो वास्तविकता है उसको हर कोई सामने नहीं रख सकता 

कितने लोगों ने देश के लिए क्या कुछ नहीं छोड़ दिया,
प्रतिनिधि और अधिकारियों ने देश को विनाश की तरफ मोड़ दिया

मैं देश का हित चाहता हूं इसीलिए सच लिख रहा हूं,
अर्पित से मैं अच्छी चीजें सीख रहा हूं 

जानता हूं किसी पर इसका असर नहीं पड़ेगा,
भ्रष्टाचार से आजादी के लिए कोई नहीं लड़ेगा

एक दिन एक देशभक्त हम सबके बीच से जरूर आएगा,
उस दिन देश सच में आजादी का पर्व मनाएगा

मेरा देश मुझको बहुत ज्यादा है प्यारा,
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा...

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