दिल की बात /अर्पित सर्वेश

मैं कैसे बताऊं तुम्हे अपनी दिल की बात,
तुम तो हमेशा रहती ही हो मेरे साथ

घर तो हम दोनों का 711 किलोमीटर दूर है,
पर हमारे प्यार के चर्चे हर जगह मशहूर है

ऐसी कोई बात बची ही नहीं जो तुम्हे बताई न हो,
ऐसा कोई पल नहीं कि तुम आओ और मुझे आहट न हो

प्यार करना है तो हम दोनों जैसे करे,
जो हम बताएं करने को वैसे करे

जन्मदिन तुम्हारा कभी भूलता नहीं मै,
तुम्हारी किसी भी नादानी से रूठता नहीं मै

तुम तो मेरे लिए एक फरिश्ता हो,
जिसका कोई नाम नहीं वो रिश्ता हो

वक्त लग रहा है हमारी शादी होने में,
डर लगता है मुझे तुम्हें खोने में 

यहां तक प्रभु ने साथ दिया है तो मंजिल तक जरूर पहुंचायेंगे,
हम दोनों को एक दूसरे का जीवन साथी जल्द ही बनायेंगे

तुम अमृत जैसी अनमोल हो ,
मेरे दिल दे तुम कोल हो

अर्पित कर दिया है तुम्हारे लिए अपना दिल,
अब जल्दी से आ के तू  मुझसे मिल........

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