मेरी प्रिय कलम/पूर्णिमा मंडल

छीनों ना मेरे हाथ से मेरी प्रिय कलम 
एक यही तो मेरे गम का साथी है

सब तो छोड़ गए साथ मेरा
एक इसी से उम्मीद ए वफ़ा बाकी है

अपने तो जख्म दे गए मुझे
मेरी कलम ने जख्मों की दवा की है

मेरा प्रिय साथी बन मेरी कलम ने
 मेरे जीवन को एक नई दिशा दी है।
✍🏼 पूर्णिमा मंडल ✍🏼 
अनकहे एहसास

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