प्यार नहीं होता हंसी खेल
वो पनपता है दिल की गहराई में रोपे गए उस बीज से जिस पर पड़ती आत्मीयता की खाद, होता है विचारों का मेल
साथ ही समझाती थी मां
प्यार नहीं होता गुनाह कभी
वह हो सकता है कभी भी
उसके लिए नहीं होता कोई बंधन
ना वो कैद है नियमों में,
आज अचानक बदल रही है मां अपनी परिभाषा
उसके चेहरे पर उभर आया है डर
जैसे की हो कोई गलती उसने अब समझाती है वो
परियों और राजकुमारियों के किस्सों में पनपता है प्यार
या फिर रहता है किताबों के चिकने पन्नों पर
लेकिन एक दिन आएगा जब तुम कर सकोगी प्यार
सच में ज़माना बदल जाएगा प्रेम का रेशमी एहसास उतर आएगा खुरदुरे यथार्थ पर
तब तक, बस तब तक बंद रखो अपनी आखें और समेट लो सुनहरे सपने
-Mohini
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